
मेरे हिसाब से फेकोलॉजी से विरले ही अछूते रह पाते हैं। जहां-कहीं चर्चा शुरू होती है, फिर फेकोलॉजी की पकड़ मजबूत हो जाती है। अपनी बात को मनवाने तथा खुद को तिसमारखां साबित करने के लिए फेकोलॉजी में महारत हासिल होना जरूरी है। हर व्यक्ति फेकोलॉजी में दूसरे को पछाड़ने में कोई कसर नहीं छोड़ता। पूरी दमखम लगाने के बाद भी कोई आगे निकलने की कोशिश करता है तो फिर फेकोलॉजी का अचूक फण्डा कारगर साबित होता है। अभी परीक्षा का मौसम है, ऐसे में फेकोलॉजी ही सभी के प्रिय टॉपिक हैं और इसके चाहने वालों की कहीं कमी दिखाई नहीं देती। जिसने फेकोलॉजी पर विश्वास कर लिया, समझो उसका बेड़ा पार। मानो, हर जगह ऐसे ही लोगों का बोलबाला है। सब कहते हैं कि दुनिया गोल है, मगर जब कोई फेकोलॉजी का स्पेश्लिस्ट अपने पर उतर आए तो वह साबित कर सकता है कि दुनिया तिरछा है, या फिर लंबा है ? कहने का मतलब है, फेकोलॉजी की हर बात में दमखम होता है। तभी तो फेकोलॉजी का शिकार देश की जनता भी है। जो भी सत्ता की कुर्सी पर बैठता है, वह फेकोलॉजी के जतन से उबर नहीं पाता। पांच बरसों तक केवल फेकोलॉजी के सहारे ही जनता तमाशबीन बनी रहती है, सब फेकोलॉजी का कमाल है ?
बातों को बढ़ा-चढ़ाकर पेश करना ही फेकोलॉजी का पहला गुणसूत्र है। मैंने भी महसूस किया है कि फेकोलॉजी में परिपक्व होना जरूरी है, क्योंकि इसके बगैर आप किसी को बेवकूफ नहीं बना सकते। किसी को ठग नहीं सकते। अपने घटिया उत्पाद उंची कीमत पर बेच नहीं सकते। जो काम किसी भी पैतरे से पूरे नहीं होते, समझो उसका एक ही उपाय है, फेकोलॉजी। फेकोलॉजी की दुनिया अपरंपार है, हर कोई फेकोलॉजी के दीवाने हैं। जिस किसी को यह बीमारी लग जाती है, उसकी जुबान की गाड़ी सौ से ज्यादा की स्पीड में दौड़ने लगती है।
एक बात और है, जब भी लगता है, कोई अपने पर हावी हो रहा है, तो फिर टिका दो फेकोलॉजीे। जब बातूनी मैदान में फेकोलॉजी उतरती है, उसके बाद तो कोई आगे-पीछे ठहरता ही नहीं। फेकोलॉजी का शिकार व्यक्ति की मानसिकता ऐसी हो जाती है, जैसे वही दुनिया का अंतिम व आखिरी चतुराई का जीता-जागता उदाहरण है। मुझे लगता है कि आप भी नजरें इनायत करें तो ऐसे अनगिनत फेकोलॉजी के महारथी मिल ही जाएंगे ? क्या कहते हैं, आप ?
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